Dussehra जिसे विजयदाशमी के नाम से भी जाना जाता हे|
इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में पुरे देश में बड़ी धूम – धाम से मनाया जाता हें |
भगवन राम ने इसी दिन अहंकारी रावण का वध किया था और माता सीता को रावण की केद से चुडा कर अयोध्या अपने साथ लेकर आए थे
तभी से भगवन राम की विजय के रूप में मनाया जाता हैं |
आए जाने दशहरे के बारे में कुछ खास बातें

हम में से कई लोग दशहरे के महत्व के बारे में तो जानते हे लेकिन इससे जुडी बहुत साडी बातो से आज भी अनजान हैं इसी लिए हम आपको आज इससे जुडी कुछ खास और रोचत बातो के बारे में बतायगें | तो आए जाने
- ऐसा कहा जाता हे की Dussehra का जो पहला भव्य उत्सव 17 वीं सताब्दी में तत्कालीन राजा. वोडेयर के आदेश पर मैसूर पेलेस में हुआ था | उसके बाद ही इसे पुरे देश में बड़ी धूम – धाम से इस त्यौहार को मनाया जाता हैं |
- वर्ष के तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक Dussehra को माना जाता हैं, अन्य के दो शुभ तिथियां हैं चेत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा | इसी दिन शस्त्र – पूजा भी की जाती हैं |
- राजा लोग प्राचीन काल में विजयादशमी के दिन अपनी विजय की प्राथना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे | यही कारन हैं की आज भी विजयादशमी के दिन किसी तीर्थ स्थल के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता हैं |
- कहा जाता हे की रावण एक बहुत बड़ा विद्वान और वीर व्यक्ति था परन्तु उसके अहंकार ने ही उसका विनाश कर डाला | यह त्यौहार जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देता हैं, साथ ही यह हमे सिखाता हे की जीवन में कभी अहंकार नही करने की प्रेरणा भी देता हैं|
- दशहरे से जुडी एक रोचक बात हमें आज पता चली हैं कि Dussehra एक संस्कृत के शब्द हरा से लिया है, जिसका अगर हम अंग्रेजी अनुवाद देखे तो पता चलता है ‘सूर्य की हार ‘ हैं | हिन्दू धर्म की माने तो अगर भगवन राम ने रावण का वध नही किया होता, तो सूर्य कभी नही निकलता |
- Dussehra केवल भारत में ही नही बल्कि कई जगह मनाया जाता हैं जिसमे खास तोर पर सामिल हे बांग्लादेश, नेपाल और मलेशिया | आप सभी मेसे से ये काफी कम लोग जानते होगे की मलेशिया में दशहरे की दिन रास्ट्रीय अवकाश भी होता हैं |
- इस दिन भारत के कई हिस्सों में बहनें अपने भाई के माथे पर बड़ा तिलक लगाती हैं और अपने भाई की लम्बी आयु और अच्छी सेहत की कमाना करती हैं |
- बंगाली समुदाय के लोग Dussehra को बिजॉय दशमीके रूप में बड़ी धूम-धाम से मानते हैं | बंगाली समुदाय के लोग इस दिन दूर्गा पूजा का भी समापन करते हैं, क्यूँ की इस दिन माँ दूर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, जिसे सब Dussehra के दिन जीत के रूप में मनाया जाता हैं |
- विजयदशमी पर रावण के साथ दो और पुतले जलाएं जाते हैं, रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाये जाते हैं |
- विजयदशमी पर शमी पूजा भी की जाती हैं जिसे बन्नी पूजा भी कहा जाता हैं और अपराजित पूजा की जाती हैं | इस दिन किये जाने वाले सबसे अधिक पूजनीय अनुष्ठानों में से हैं | आईए जानते हे शमी पूजा के बारे में..
शमी पूजा
यह राजाओं और योद्धाओं (क्षत्रियों) के द्वारा पारंमपरिक रूप से शमी पूजा की थी | इस दिन लोग अपने शहर के उत्तर-पूर्व मैं स्थित शमी पेड़ की पूजा करते हैं | अगर शमी का पेड़ न मिलता तो उसकी जगह अश्मंतक के वृक्ष की भी पूजा की जा सकती है।
अलग-अलग भारत के जगहों पर इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता हैं

नवरात्री के पहले दिन से ही इस उत्सव की सुरुआत हो जाती हैं और Dussehra पर यह नौं दिनों तक चलने वाला नवरात्री का समापन होता हैं,
इसमें दुर्गा देवी और उनके नौं अवतारों की पूजा की जाती है क्यूंकि यहाँ इन उत्सवों का एक हिस्सा माना जाता हैं |
भारत के कई हिस्सों में दशहरे के दिन कई कार्यक्रम किये जाते हे जेसे की रामलीला का कार्यक्रम |
रामलीला कार्यक्रम में भगवान राम की जीवनी को दरसाया जाता हैं और रावण से हुए युद्ध के बारे में बताया जाता हैं | इसमें ये सिख बताया जाता हैं की केसे सत्य की असत्य पर विजय हुई और अहंकारी रावण अपने अहंकार की वजह से मारा गया |
रावण की पूजा
जिहा अपने सही सुना भारत के कुछ हिस्सों में रावण की पूजा की जाती है और इस अवसर को मनाया जाता हैं |
भारत के जिन हिस्सों में रावण की पूजा की जाती है वो हैं – राजस्थान में जोधपुर, मध्य प्रदेश में मंदसोर, कर्णाटक में कोलार, आंध्र प्रदेश में काकीनाडा और हिमाचल प्रदेस में बैजनाथ सहित लोग रावण की पूजा करते हैं |
अंतर्राष्ट्रीय Dussehra महोत्सव कहा मनाया जाता हैं
अंतर्राष्ट्रीय Dussehra 2022 उत्सव का आयोजन हिमाचल प्रदेश के ढालपुर मैदान में हर साल किया जाता हैं |
इसका आयोजन विजयादशमी से शुरू हो जाता हैं और यह उत्सव सात दिनों तक चलता हैं इस उत्सव में दुनिया भर से हर साल 4-5 लाख से अधिक लोग शामिल होते हैं और इसे रोमांच के मानते हैं |
चलिए अब जानते है रावण के बारे में कुछ खास बाते जो आपको शायद ही पता होगी

रावण जो था वो एक ब्राह्मण के पुत्र व भगवन ब्रह्मा के परपोते थे |
उन्होंने कई सिद्धियाँ प्राप्त की थी इसलिए उन्होंने नवग्रहों को भी अपने कब्जे में कर लिया था | रावण केलाश पर्वत को भी हिलाने की ताकत रखता था और उसे शिव का वरदान प्राप्त था |
सब यही समझते हे की सक्तिशाली रावण को पहली व आखिरी बार हार भगवन राम से ही मिली थी पर यहाँ सत्य नही हे,
धार्मिक ग्रन्थ रामायण के अनुसार रावण को दो लोगो ने पहले भी हार का मुंह दिखाया हैं और वह थे वानर राज बाली और माहिष्मती के राजा कार्तवीर्य अर्जुन (अर्जुन महाभारत वाले नही ) से भी रावण हार चुके थे |
रावण वेसे तो बहुत ज्ञानी थे लेकिन उन्होंने अपने जीवन में एक बहुत बड़ी गलती यह कर दी की माता सीता का अपहरण कर दिया, जिसके कारन भगवन राम के हाथो उनका अंत हुआ |